मुंबई | वैसे तो Dev Anand साहब और Suraiya की शानदार अदाकारी से कोई भी अछूता नहीं है ,मगर शायद बहुत कम लोग जानते होने कि देव आनंद और सुरैया की कहानी बॉलीवुड की शुरूआती दौर की महान प्रेम कहानियों में से एक थी | जब देव साहब ने इंडस्ट्री की और अपने कदम बढाए तब सुरैया पहले से ही एक सुपरस्टार थीं | सुरैया ने अमेरिकी सेडान में यात्रा की। इसमें कई नौकर और उसके परिवार के कई सदस्य शामिल थे। देव साहब यहीं सुरैया पर मोहित हो गए और उनकी तारीफ़ करते रहे | बाद में, उनकी यह प्रशंसा आपसी नजदीकियों में बदलती चली गयी |
सुरैया ने भी देव (Dev) की प्रशंसा की। दोनों ने सात फ़िल्में एक साथ की और कहते है जब स्क्रीन पर दोनों एक साथ होते थे तो मेजिक क्रिएट करते थे | उन्होंने विद्या (1948) से लेकर जीत (1949), शायर (1949), अफसर (1950), निली (1950), दो सितार (1951) और सनम (1951) तक स्क्रीन पर काफी धमाल मचाया । उनकी पहली तीन फिल्मों तक किसी को भी उनके बीच के रोमांस पर संदेह नहीं था। हालाँकि, 1951 के बाद, सुरैया के रूढ़िवादी परिवार के सदस्यों ने उनके जीवन पर बंदिशे लगानी शुरू की |यह अफसर की शूटिंग के दौरान हुआ कि उनका(Dev -Suraiya) रोमांस सार्वजनिक हो गया था और उनके रिश्ते का विरोध बहुत अधिक तीव्र हो गया था।
देव( Dev) के अनुसार, उनका रोमांस(Dev-Suraiya) अपने चरम पर था जब उन्हें अफसर (1950) के लिए मुख्य भूमिका में चुना गया था। इस फिल्म का संगीत एस.डी. बर्मन ने दिया था | सुरैया के सर्वश्रेष्ठ गानों में से एक है “मन -मोर हुआ हुआ मतवाला, ये किसने जादु डाला, रे ये किसने जादू डाला “।
कहा जाता है फिल्म की शूटिंग के दौरान, उनका(Dev-Suraiya) अफेयर बॉम्बे टैबलॉयड के लिए एक हॉट टॉपिक बन गया था। उनकी लव स्टोरी की खलनायक सुरैया की दादी थीं। वह शूटिंग के दौरान स्टूडियो जाया करती थीं, एक बार उन्होंने दोनों के लव सीक्वेंस की शूटिंग को रोक दिया था। वह उन्हें साधारण सीन शूट करने की इजाज़त भी आसानी से नहीं देती थी | उन्हें शूटिंग के दौरान एक दुसरे की पलकों को चूमने का सीन शूट करने के लिये भी पहले अपनी दादी से अनुमति लेनी होती थी |
जब भी देव (Dev)उनके अपार्टमेंट में सुरैया से मिलने आते थे, तो उन्हें उनकी दादी के जासूस पहले से ही ड्राइंग रूम में बैठे मिलते थे। देव के लिए यह यातना असहनीय होती जा रही थी। सुरैया अपने परिवार की दखलंदाजी और जिद के कारण इतना आहत हुई कि उनके अभिनय और गायन के करियर ने 1951 के बाद धीरे धीरे हिचकोले खाना शुरू कर दिया | उनकी कहानी के बीच में आने वाला उनका धर्म था।
सुरैया की दादी बादशाह बेगम ने धमकी दी कि अगर सुरैया ने देव आनंद के साथ शादी कर ली, जो एक अलग धर्म के थे, तो वह अपनी जिंदगी खत्म कर लेंगी |बहुत से लोगो का मानना है कि उनकी दादी के इस शादी से इनकार करने की असली वजह धर्म ना होकर यह थी कि सुरैया परिवार की सबसे अधिक कमाई करने वाली सदस्य थी।
आखिर काफी मशक्कत के बाद भी उनके(Dev) प्यार को मुकाम नहीं हासिल हो सका और उनका रिश्ता प्यार से शादी तक का सफ़र तय करने में नाकामयाब रहा | सुरैया और आनंद ने 1951 में फिल्म दो सितारे में एक साथ काम किया। यह कहा जाता है कि फिल्म के पूरा होने के बाद, दोनों (Dev-Suraiya)सुरैया के अपार्टमेंट में आनंद के बड़े भाई चेतन की उपस्थिति में एक आखिरी बार मिले |सुनने में आता है कि अपनी इस आखिरी मुलाक़ात के दौरान दोनों की आँखों से लागातार आसुंओं का सैलाब उमड़ता रहा | इसके बाद सुरैया ने देव साहब की दी अंगूठी को समुद्र में फेंक इस रिश्ते को अंतिम मोड़ दे दिया |
यह दो प्यार करने वालों(Dev-Suraiya) की खूबसूरत कहानी का एक दुखद अंत था, और उसके बाद दोनों पूरी तरह बिखर गए | सुरैया और देव आनंद की शादी का मधुर सपना उनकी इस आखिरी मुलाक़ात के बाद चूर चूर हो गया | हालाँकि देव साहब इसके बाद इससे उबर गए |1954 में देव(Dev) ने फिल्म टैक्सी ड्राइवर की शूटिंग के दौरान शिमला की बॉलीवुड अभिनेत्री कल्पना कार्तिक उर्फ़ मोना सिंहा से शादी कर ली। उनके दो बच्चे भी हुए, बेटा सुनील और बेटी देवीना |
लेकिन सुरैया के लिये यह प्यार अमर रहा और वह ताउम्र अविवाहित रहीं।हालांकि देव साहब ने भी कभी अपने प्यार की इस दास्तान से इनकार नहीं किया और कई पत्रिकाओं जैसे स्टार डस्ट और स्टार एंड स्टाइल सहित कई टीवी इंटरव्यू जैसे करण थापर (बीबीसी ) ,सिमि गरेवाल शो में खुलकर इस बारे में बात की |
वैसे चाहे उनके प्यार को मंजिल भले ही ना मिली हो मगर आज भी उनकी क्लासिक फिल्मों को देख दर्शक इस जोड़ी( Dev-Suraiya) की एक दुसरे के प्रति दीवानगी को महसूस कर सकते हैं |
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