BolBolBollywood.com Exclusive– बॉलीवुड की मिस्ट्री गर्ल के नाम से मशहूर 1960 और 1970 के दशक की अभिनेत्री साधना शिवदासानी (Sadhana Shivdasani) एक बार फिर चर्चा में आ गई। दरअसल, उनके फैन्स क्लब ने इन्स्टाग्राम पर एक तस्वीर शेयर की है। जिसमें कई दिग्गज बॉलीवुड कलाकारों के सामने लीजेंड अभिनेता धर्मेंद्र बैठे हैं। इस गु्रप में साधना भी शामिल है। इस दौरान धर्मेद्र ने लिखा है कि ‘इन हस्तियां के कदमों, इस हकीकत का यकीन नहीं होता है। मिस्ट्री गर्ल साधना जी हमेशा सभी के जीवन का हिस्सा रहेगी।’ धर्मेद्र और साधना ने 1970 की फिल्म ‘इश्क पर जोर नहीं’ में काम किया था।
आपको बता दें कि 2 सितंबर 1941 को जन्मी साधना अपने दौर की उन अभिनेत्रियों में शुमार थी जो सबसे ज्यादा पैसे लिया करती थी। वह 1960 से लेकर 1980 तक सक्रिय रही। उनकी मृत्यु 25 दिसंबर 2015 को हो गई थी।
फेमस हो गया था ‘साधना कट’
साधना के चार दशक तक चले फिल्मी करियर में खास बात यह रही कि उनकी ‘हेयर कट’ की लड़कियां दीवानी थी। यह देश भर लड़कियां की पसंदीदा हेयर स्टाइल में शुमार थी। दरअसल, फिल्म वक्त के जरिए 1965 में चूड़ीदार सलवार कमीज को चलन में लाने का श्रेय साधना को ही जाता हैं। तीन फिल्मों वो कौन थी, तेरा साया और अनीता में लगातार ‘मिस्ट्री गर्ल’ (The Mystery Girl) की भूमिका निभाने के बाद साधना को बॉलीवुड की मिस्ट्री गर्ल के नाम से जाना जाने लगा।
3 सस्पेंस थ्रिलर फिल्म ने दिलाई पहचान
अभिनेत्री साधना ने 30 से अधिक सफल फिल्मों में अभिनय किया। इनमें हम दोनों, वो कौन थी, राजकुमार, वक्त, मेरे मेहबूब, मेरा साया, अनीता, सच्चाई और एक फूल दो माली जैसी फिल्में शामिल थी। उन्हे तीन सस्पेंस थ्रिलर फिल्मों से प्रसिद्धि दिलाई थी जिनमें पहले 1964 में आई ‘वो कौन थी?’, 1966 की मेरा साया और 1967 में रिलीज हुई अनीता शामिल है। ये सभी राज खोसला द्वारा निर्देशित हैं। साधना को उनकी दो व्यावसायिक सफल फिल्मों वो कौन थी और मेरा साया में दोहरी भूमिका दी गई थी। यही नहीं ‘वो कौन थी’ के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री के लिए फिल्मफेयर पुरस्कार नामांकन भी मिला था।
बचपन से ही अभिनेत्री बनने की थी ख्वाहिश
अपने बचपन में ही अभिनेत्री बनने की ख्वाहिश रखने वाली साधन की पहली अबाना था जो 1958 में रिलीज की गई थीं। उनके पिता ने उन्हें फिल्मों में आने में मदद की थी। दरअसल, 1955 में राज कपूर की फिल्म श्री 420 में ‘मुड़-मुड़ कर ना देख’ में साधना ने एक भूमिका निभाई थी।
उस समय हिंदी सिनेमा के प्रमुख निर्माताओं में से एक शशधर मुखर्जी ने उन्हें देखा था। इसके बाद वह मुखर्जी के एक्टिंग स्कूल में नवोदित सह कलाकार जॉय मुखर्जी शामिल हो गर्इं। आरके नैय्यर, जो पहले कुछ फिल्मों में सहायक निर्देशक के रूप में काम कर चुके थे, ने इस फिल्म का निर्देशन किया था।
दरअसल, यह लुक ब्रिटिश अभिनेत्री आॅड्रे हेपबर्न से प्रेरित था। जिसे अपना साधना ने अपना ट्रेडमार्क बना लिया। फिल्मालय प्रोडक्शन बैनर ने इस तरह अपनी 1960 की रोमांटिक फिल्म लव इन शिमला में जॉय के साथ साधना को उनके हेयरस्टाइल के साथ पेश किया। फिल्म को बॉक्स आॅफिस पर हिट रही और यह 1960 की शीर्ष 10 फिल्मों में शामिल हो गई। इस दौरान वह फिर ‘एक मुसाफिर एक हसीना’ में जॉय के अपोजिट नजर आई।
थायराइड की समस्या ने खत्म कर दिया करियर
साधना को थायरायड की वजह से स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं थीं, जिसका इलाज उन्होंने बोस्टन में कराया। अमेरिका से लौटने के बाद उन्होंने इंतकाम, एक फूल दो माली, सच्चाई, दिल दौलत दुनिया और गीता मेरा नाम जैसी सफल फिल्मों अभिनय किया। इसके बाद 1974 में उनके डायरेक्शन में बनी फिल्म ‘गीता मेरा नाम’ रिलीज हुई। खास बात यह है कि फिल्म बतौर स्वतंत्र कोरियोग्राफर सरोज खान की पहली फिल्म भी थी। इसके बाद उन्होंने अभिनय संन्यास ले लिया।
ऐसी थी पारिवारिक लाइफ
साधना ने अपने ‘लव इन शिमला’ के डायरेक्टर आरके नैय्यर से 1966 में शादी कर ली। उनकी शादी 30 साल जब आरके नैय्यर का 1995 में निधन हो गया तो साधना एकदम अकेली रह गई। साधना का अंतिम समय अकेले पन में ही बीता था। वह अधिकांश समय अकेले ही जीया। साधना को उनके बुढ़ापे में कैंसर का पता चला था, जिसके कारण उनकी मृत्यु 25 दिसंबर 2015 को हुई थी।