मुंबई। साल 1971 में 12 मार्च को रिलीज हुई क्लासिंक फिल्म आनंद (Anand movie) के आज 50 साल पूरे हो चुके हैं। ऋषिकेश मुखर्जी द्वारा निर्देशित इस फिल्म के संवाद गुलजार ने लिखे थे। सुपरस्टार राजेश खन्ना (Rajesh Khanna), अमिताभ बच्चन (Amitabh Bachchan), सुमिता सान्याल, रमेश देव और सीमा देव की भूमिका से सजी यह फिल्म अपने गानों और डॉयलाग के चलते खूब चर्चित हुए थी। फिल्म ने उस दौर में 2 करोड़ रुपए का बिजनेस किया था। फिल्म ने 1972 में सर्वश्रेष्ठ फिल्म के लिए फिल्मफेयर अवार्ड सहित कई पुरस्कार जीते। 2013 में यह अनुपमा चोपड़ा की पुस्तक 100 फिल्म्स ‘टू सी यू बिफोर यू डाई’ में लिस्टेड हुई है। फिल्म का एक संवाद बॉलीवुड के अमर संवादों में शामिल है। वह यह था कि ‘जिंदगी बड़ी होनी चाहिए लम्बी नहीं।’
खूब बिके आॅडियो कैसेट
फिल्म ‘आनंद’ अपने आप में एक आइकोनिक फिल्म थी। इसे उन बेहद चंद फिल्मों में शुमार किया जाता है जिसके गानों ने धूम मचा दी थी। इसे आॅडियो कैसेट के साथ-साथ डॉयलाग के कैसेट ने भी बिक्री के रिकॉर्ड तोड़े थे। यह उन दो फिल्मों में शामिल है जिनमें अमिताभ बच्चन और राजेश खन्ना ने एक साथ काम किया था।
किशोर कुमार और महमूद थे पहली पसंद
आनंद मूल रूप से अभिनेता किशोर कुमार और महमूद को मुख्य भूमिकाओं में लेने वाले थे। निमार्ताओं में से एक एन सी सिप्पी ने पहले महमूद के प्रोडक्शन मैनेजर के रूप में काम किया था। कैरेक्टर किरदार बाबू मोशाय को महमूद द्वारा निभाया जाना था। दरअसल, ऋषि मुखर्जी को इस परियोजना पर चर्चा करने के लिए किशोर कुमार से मिलने के लिए कहा था। हालांकि, जब वह किशोर कुमार के आवास पर गए, तो गलतफहमी के कारण उन्हें द्वारपाल ने भगा दिया। इसके पीछे वजह यह थी कि किशोर कुमार (खुद बंगाली) ने एक अन्य बंगाली व्यक्ति द्वारा आयोजित एक स्टेज शो किया था और वित्तीय मामलों में इस आदमी के साथ विवाद हो चुका था। उसने अपने गेट कीपर को निर्देश दिया था कि अगर वह कभी घर आता है तो वह इस ‘बंगाली’ को भगा दे। गेट कीपर ने ऋषिकेश मुखर्जी को बंगाली गलत समझ लिया और उन्हें प्रवेश से मना कर दिया। इस घटना से मुखर्जी आहत हुए और उन्होंने कुमार के साथ काम नहीं करने का फैसला किया। नतीजतन, महमूद को भी फिल्म छोड़नी पड़ी। इसके बाद राज कपूर और शशि कपूर को भी फिल्म आॅफर की गई थी लेकिन अंतत: यह फिल्म राजेश खन्ना की झोली में चली गई।
राज कपूर से प्रेरित था आनंद का किरदार
बताया जाता है ऋषिकेश मुखर्जी ने 28 दिनों में फिल्म की शूटिंग पूरी कर ली थी। आनंद का किरदार राज कपूर से प्रेरित था, जो ऋषिकेश मुखर्जी को ‘बाबू मोशाय’ कहा करते थे। ऐसा माना जाता है कि ऋषिकेश मुखर्जी ने फिल्म तब लिखी थी जब एक बार राज कपूर गंभीर रूप से बीमार थे और मुखर्जी को लगा कि उनकी मृत्यु हो सकती है।
गुलजार की कविता..‘मौत तू एक कविता है’
फिल्म का संगीत सलिल चौधरी ने दिया था। गाने के बोल गुलजार और योगेश ने लिखे थे। गुलजार ने ‘मौत तू एक कविता है’ कविता लिखी, जिसे अमिताभ बच्चन ने सुनाया है। यहीं नहीं सलिल चौधरी का नाम कंफर्म करने से पहले ऋषिकेश मुखर्जी ने लता मंगेशकर से संपर्क किया था। इसके पीछे वजह यह है कि उन्होंने पहले ही मराठी फिल्मों में संगीत निर्देशक के रूप में काम किया था।