SAINA Review: क्लासिक बन सकती थी, औसत एंटरटेनिंग बनकर रह गई

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Saina Biopic Review
Saina Biopic Review

मुंबई। बॉलीवुड फिल्म साइना (Saina) शुक्रवार 26 मार्च को सिनेमाघरों में रिलीज हो चुकी है। यह फिल्म भारतीय बैडमिंटन स्टार साइना नेहवाल की बॉयोपिक है। कोरोना वायरस के एक बार फिर लौटने की आशंकाओं के बीच यह फिल्म (Saina) रिलीज की गई है। यह निर्माताओं का बड़ा जोखिम भरा फैसला है। वह भी तब जब कई निर्माताओं ने अपने कदम पीछे खींच लिए है। ऐसे में BolBolBollywood.com से पराग छापेकर (Parag Chhapekar) बता रहे हैं कि यह फिल्म देखी जाए या छोड़ दी जाए या इस फिल्म में क्या है खास। वे इन्हीं सब सवालों केजवाब आपको देने जा रहे हैं।

स्टार कास्ट: परिणीति चोपड़ा, मेघना
निर्देशक: अमोल गुप्ते
रेटिंग: 3/5

निर्देशन और एक्टिंग: डायरेक्टर अमोल गुप्ते जो कमाल के एक्टर भी है उनके द्वारा निर्देशित यह फिल्म (Saina) कमाल की है। अगर डायरेक्शन की मैं बात करूं तो अमोल गुप्ते मझे हुए डायरेक्टर है। जो उन्होंने कई फिल्मों में साबित कर दिखाया है। कई सारी कमियों के बावजूद फ़िल्म आपको बांधे रखती है। कमियां क्या है वह मैं आपको आगे बताऊंगा। लेकिन, जिस तरह से यह फिल्म लिखी गई है, जिस तरह से इसे डायरेक्ट किया है, जिस तरह से म्यूजिक दिया है, जिस तरह से बैक ग्राउंड म्यूजिक दिया। यह सब मिलाकर फिल्म आपको बांधे रखती है। इस फिल्म में परफॉर्मेंस की बात करूं तो मैं पहला नंबर देता हूँ मेघना मलिक को। वह कई सारी फिल्मों में नजर आ चुकी है। मेघना ने कमाल का परफॉर्म किया है। यह फिल्म इस बात का भी उदाहरण है कि कोई फिल्म महान बन सकती है अगर एक्टर्स अपना 100 परसेंट दे दें। लेकिन, कैसे कोई फिल्म (Saina) क्लासिक बनने में पिछड़ जाती हैं अगर कोई एक्टर्स अपना 100 फीसदी न दें तो। यह क्लासिक बॉयोपिक में शुमार हो सकती थी लेकिन यह इसलिए नहीं हुई कि परिणीति चोपड़ा अपना 100 प्रतिशत देने से चूक गईं। परिणीति चोपड़ा को टाइटल रोल मिला था। आप लीड कर रही थी, आप कर सकती था। थोड़ा सा और मेहनत करती तो वह हासिल हो जाता जिसकी यह फिल्म हक़दार थी। लेकिन, पहली ही रील से परिणीति अनमने अंदाज में नजर आई। यह फिल्म क्लासिक हो सकती थी लेकिन यह एक औसत एंटेरटेनिंग फिल्म (Saina) बनकर रह गई। इसमें बहुत संभावनाएं थी। बावजूद इसके यह फिल्म इसलिए भी महान है कि आप चाहते हैं कि आपके घर में शाहरुख खान, सचिन तेंदुलकर, साइना नेहवाल, कपिल देव जैसे बच्चे हो। लेकिन, यह कोई नहीं समझता कि आप उनके माँ बाप की तरह बन जाए। ऐसे में इस फिल्म से आपको समझने का मौका मिलेगा कि आपको इन लीजेंड्स के मां-बाप की तरह बनना क्यों जरूरी है। यह फ़िल्म आप देखिए निश्चित तौर पर आपको मज़ा आएगा। आपके बच्चों को भी मज़ा आएगा।

हमेशा एक लीजेंड की बॉयोपिक जिनमें उनकी लाइफ के उतार चढ़ाव, उनके घरवालों की मेहनत आने वाली जनरेशन के लिए हमेशा एक यह एक अलग लाइट हाउस की तरह होती है। मैं दीपा भाटिया को बधाई देना चाहूंगा। जिस तरह से उन्होंने यह फिल्म लिखी है यह एक अलग तरह की फिल्म है। वाकई अच्छी फिल्म है। मैं इस फिल्म को 5 से 3 स्टार देता हूं।