मुंबई। कोरोना पेंडेमिक (Corona Pandemic) के चलते बॉलीवुड कलाकर की आर्थिक संकट का सामना कर रहे हैं। हालात बहुत खराब हैं। अपनी कला से भारत को एकता के सूत्र में जोड़ने और मनोरंजन करने वाले कलाकारों के कार्यक्रम 2 साल से बंद हैं। वे जबरदस्त आर्थिक संकट से गुजर रहे हैं। ऐसे में अक्षय कुमार से लेकर उस्ताद अमजद अली खान और सुभाष घई से लेकर पंडित बिरजू महाराज तक सभी ने कोरोना समय में देश के कलाकारों की बदहाल स्थिति का दर्द बयान किया है।
इसी को लेकर पत्रकार, लेखक और थिएटर पे्रमी शकील अख्तर (Shakeel Akhtar) ने अपनी फेसबुक पोस्ट पर इस दौरान चलाए जा रहे मददगारों की पहल को बखूबी बयां किया है। उन्होंने अपनी फेसबुक वॉल पर लिखा है कि, ‘कोरोना संकट (Corona Pandemic) के समय में कार्यक्रम बंद होने की वजह से देश के हजारों कलाकार बेहद आर्थिक मुश्किल से गुजर रहे हैं। संस्कार भारती, दिल्ली ने ऐसे कलाकारों की मदद के लिए सरकार,जनता की मदद से एक अभियान शुरू किया है। इस अभियान को देश के 30 से अधिक दिग्गज कलाकार समर्थन दे रहे हैं। उनकी मदद से परमार्थिक शोज किए जाएंगे। लोगों से डोनेशन लिया जा रहा है, ताकि बदहाल कलाकारों की आर्थिक मदद हो सके। इस अभियान का नाम है ‘पीर पराई जाने रे’। सूफी गायक हंसराज हंस इस अभियान के अध्यक्ष बनाए गए हैं। हाल ही में उनके नेतृत्व में एक वर्चुअल कॉन्सर्ट आयोजित किया गया। वर्चुअल कॉन्सर्ट में शामिल हुए कलाकारों ने आयोजन में जहां दर्शकों का मनोरंजन किया। वहीं, डोनेशन की अपील भी की। इस कॉन्सर्ट का संचालन गीतकार,शायर मनोज मुंतशिर और लोक गायिका पद्मश्री मालिनी अवस्थी ने किया। मनोज मुंतशिर ने इस कार्यक्रम को ‘संवेदना उत्सव’ का नाम दिया। खुले दिल से मदद की विनती की। मालिनी अवस्थी ने कलाकारों का हितभागी बनने की बात कही। उन्होंने दर्शकों से कहा- ‘हालात ये हैं कि कलाकार ना तो अपने घर का किराया दे पा रहे हैं, ना बच्चों की फीस, ना ई एम आई’। उनके लिये घर चलाना भी मुश्किल हो गया है।’
कला है तो भारत है
सिने स्टार अक्षय कुमार ने कहा, ‘पिछले 2 सालों से कलाकारों के पास काम नहीं है। उनकी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है। उनकी सहायता के लिए मैं संस्कार भारती के अभियान का समर्थन करता हूं। सच यही है कि कलाकार हैं तो कला है, कला है तो भारत है।’ डॉ. चंद्र प्रकाश द्विवेदी ने कहा-‘हमारे उत्सवों और आयोजनों में साथ खड़े रहने वाले कलाकार आज विकट आर्थिक संकट में है, आज उनके साथ हमें खड़े होने की जरूरत है।’ गायक कैलाश खेर ने कहा, ‘फंड रेजिंग में कलाकार ही साथ देते हैं। परंतु आज उनके लिये फंड रेज करना जरूरी हो गया है।’ ख्यात शास्त्रीय नर्तक डॉ. सोनल मानसिंह ने दर्द बयान किया-‘कोरोना संकट के दौर में परफॉरमिंग आर्ट्स से जुड़े कलाकारों के कार्यक्रम बंद पड़े हैं। कलाकारों के साथ हमारी कला और संस्कृति मुरझाने लगी है। आज भारतीय संस्कृति को मुरझाने से बचाने का वक्त आ गया है।’
सरकार तुरंत प्रभाव से दे मदद
पं. बिरजू महाराज और साजन मिश्र ने अपने संदेशों में प्रधानमंत्री और सरकार से तुरंत हस्तक्षेप की अपील की। बिरजू महाराज ने कहा- ‘हम अपने स्तर पर मदद करते रहते हैं। परंतु यह बड़ा काम है। इसके लिए मिलकर ही पहल करने की जरूरत है। संस्कार भारती के अध्यक्ष,चित्रकार वासुदेव कामत ने कहा-‘सच्चा कलाकार अपनी कला से समाज को देता ही रहता है, उसका मांगने का स्वभाव ही नहीं है। परंतु कोविड (Corona Pandemic) की वजह से आज कलाकार दारूण अवस्था में हैं। हमें उनकी पीर को समझने की जरूरत है ताकि वे जीवन यापन के साथ ही अपनी साधना जारी रख सकें।’ ‘पीर पराई जाने रे’ अभियान के अध्यक्ष हंसराज हंस बोले- ‘कोविड की वजह से कलाकार क्राइसिस में है। जबकि कलाकार किसी भी देश की तहजीब या कल्चर की पहचान है। हमें आज अपनी तहजीब बनाने वालों को बचाने की जरूरत है।’ वहीं, बीजेपी सांसद और भोजपुरी कलाकार, मनोज तिवारी और रवि किशन ने भी कलाकारों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता जताई। मनोज तिवारी ने कहा-‘संकट में खड़े रहना,हम भारतीयों की रीत है। संस्कृति हमारी पहचान है, कलाकार उसका योद्धा है। कलाकार बचेगा तो संस्कृति बचेगी।’
सिने हस्तियों ने दोहराई विनती
कंसर्ट में सिने कलाकारों ने भी इस यज्ञ में मुक्त हस्त से हाथ बंटाने की अपील की। फिल्म निर्माता सुभाष घई ने कहा-‘वैष्णव जन का संदेश यही है कि हम हर भारतीय का दु:ख समझें। हमारा कर्तव्य बनता है कि हम कलाकारों की मदद करें। प्रकाश झा और अनुपम खेर ने यही अपील दोहराई और संस्कार भारती के अभियान की प्रशंसा की। गायक सुरेश वाडकर ने कहा- ‘कलाकार इस वक्त (Corona Pandemic) मुश्किलों के दौर से गुजर रहे हैं। उनके स्ट्रगल को कम करने में साथ आने की जरूरत है। गजल गायक ए हरिहरण ने कहा-‘कलाकारों की हम मदद नहीं करेंगे तो बड़ा नुकसान हो जाएगा। यही बातें अनूप जलोटा, शंकर महादेवन, सोनू निगम, कपिल शर्मा, दलेर मेहंदी, मीका सिंह, जसवीर जस्सी जैसे सभी फनकारों ने कहीं।’
अच्छी पहल मुश्किल टास्क
संस्कार भारती की पहल पर एक अच्छी शुरूआत तो हो गई है। परंतु कोष जुटाने और फिर व्यवस्थित रूप से उन्हें कलाकारों तक पहुंचाना एक बड़ी टास्क होगा। विशेषकर हमारे देश में कलाकार गांवों से लेकर शहरों तक हैं। ज्यादातर असंगठित हैं। उनका व्यवस्थित लेखा-जोखा कम है। कला आलोचक अजित राय की माने तो भारत में गांवों से लेकर महानगरों तक करीब 2 करोड़ कलाकार हैं। इनमें बहुतों की जीविका कला प्रदर्शन पर निर्भर है। परंतु पिछले डेढ़ सालों से उनकी हालत बेहद खराब हो चुकी है। सरकारों का ध्यान नहीं है। यहां तक कि दो सालों से कलाकारों को अनुदान नहीं मिला है। कला अकादमियों और संस्कृति मंत्रालयों को जो बजट दिया गया है। कोरोना काल में उनका किस तरह से उपयोग हुआ, इसका कोई हिसाब नहीं है। अनुदान क्यों रुका हुआ है,यह भी एक सवाल है। जबकि जिन बड़े संस्थानों को बजट मिला, उन्होंने कला की कार्यशालाओं,कलाकारों और उनके काम से जुड़े लेखकों के लिये आॅन लाइन ऐसा काम जनरेट नहीं किया, जिससे उन्हें आर्थिक मदद मिल पाती। उम्मीद है संस्कार भारती की इस पहले से कलाकारों के काम के प्रति जागरुकता आयेगी। सरकारों में नए सिरे कवायद शुरू होगी। ऐसे संकटों (Corona Pandemic) के समय कलाकारों के हित के लिये नई योजनाओं का प्रादुर्भाव होगा।
ऐ जिदंगी गले लगा ले
वर्चुअल कॉन्सर्ट में संगीत,वादन,गायन के कलाकारों ने अपने कार्यक्रमों की झलक भी पेश की। इनमें सुरेश वाडकर( ऐ जिÞदंगी गले लगा ले ),सोनू निगम (अभी मुझमे कहीं),कैलाश खेर (तेरी दिवानी), मधुश्री (कभी नीम-नीम-कभी शहद-शहद) ,जसबीर जस्सी (अव्वल हम्द खुदा दा विर्द),अनूप जलोटा (तेरा जनम मरण मिट जाये), रिचा शर्मा (छाप तिलक सब छीनी रे), कविता सेठ (दिले नांदा तुझे हुआ क्या है), अनुराधा पौडवाल( वैष्णव जन तो तैने कहिये) जैसे गीत-भजन प्रस्तुत किए। कंसर्ट में पं. विश्व मोहन भट्ट, उस्ताद अमजद अली खान, उस्ताद वसीदुद्दीन डागर, डॉ. रेखा राजू, डॉ. सरोज वैद्यनाथन, सुमित्रा गुहा,अनवर खान, मुकुंद आनंद, नागराज राव हवलदार, राजेंद्र गंगानी जैसे दिग्गज कलाकार भी नुमाया हुए।