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50 Years of मेरे अपने: बीमार मीना कुमारी ने 40 दिन में पूरी की थी Shooting

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Mere Apne Movie 1971
Mere Apne Movie को आज ही दिन यानि 10 सितंबर को 1971 में रिलीज किया था। गुलजार (Gulzar) की कलम से निकली यह फिल्म बतौर हीरो विनोद खन्ना की पहली फिल्म थी।

BolBolBollywood Special Story, मुंबई। मीना कुमारी (Meena Kumari), विनोद खन्ना (Vinod Khanna) और शत्रुघ्न सिन्हा (Shatrughan Sinha) अभिनीत सुपरहिट बॉलीवुड क्लासिक फिल्म ‘मेरे अपने’ (Mere Apne Movie 1971) ने आज रिलीज हुए आज 50 साल पूरे हो चुके हैं। Mere Apne Movie को आज ही दिन यानि 10 सितंबर को 1971 में रिलीज किया था। गुलजार (Gulzar) की कलम से निकली यह फिल्म बतौर हीरो विनोद खन्ना की पहली फिल्म थी। यही नहीं यह कैरेक्टर अभिनेता डैनी की भी डेब्यू फिल्म थी। फिल्म का निर्माण रोमू, राज और एनसी सिप्पी ने किया है। यह गुलजार का पहला निर्देशन उद्यम था और राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता बंगाली फिल्म अपंजन का लगभग एक फ्रेम बाय फ्रेम रीमेक था, जिसे तपन सिन्हा ने निर्देशित किया था।

रिलीज के कुछ महीने बाद मीना कुमारी का निधन हो गया
इस फिल्म को लेकर सबसे अहम किरदार मीना कुमारी था। उन्हें दादी की भूमिका के लिए चुना गया था। लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि जब मीना कुमारी इस फिल्म के लिए शूट कर रही थी उन्हीं दिनों उनकी तबीयत बेहद खराब हो चुकी थी। इस वजह से फिल्म की सबसे अहम भूमिका होने के बावजूद उनकी हिस्से की शूटिंग महज 40 दिनों में पूरी कर ली गई। इसके बाद जैसे ही फिल्म 10 सितंबर 1971 को रिलीज हुई इसके कुछ महीने बाद उनका निधन हो गया।

फिल्म में कुल चार Songs
इस फिल्म में कुल गाने है और इन चारों सुपरहिट सॉन्ग को गुलजार ने लिखा था। जबकि संगीत सलिल चौधरी का है। गानों को आवाजें दी है किशोर कुमार (Kishore Kumar), मुकेश (Mukesh), लता मंगेशकर (Lata Mangeshkar) और मन्ना डे (Manna Day) ने।

इन कलाकारों की थी प्रमुख भूमिकाएं
फिल्म में मीना कुमारी, विनोद खन्ना और शत्रुघ्न सिन्हा के अलावा देवेन वर्मा, पेंटल, असित सेन, असरानी, डैनी डेन्जोंगपा, केशतो मुखर्जी, एके हंगल, दिनेश ठाकुर, महमूद और योगिता बाली मुख्य भूमिका में हैंं।

यह है कहानी है
फिल्म की कहानी एक बुजुर्ग महिला आनंदी देवी (मीना कुमारी) के इर्द-गिर्द बुनी गई है। असल में आनंदी देवी एक एक गांव में अपना गुजर बसर कर रही होती है। एक दिन उसका एक दूर का रिश्तेदार अरुण गुप्ता (रमेश देव) उससे मिलने जाता है। जो उसे अपनी पत्नी लता (सुमिता सान्याल) और एक छोटे बच्चे के साथ शहर में रहने के लिए राजी कर लेता है। लेकिन, कहानी यहां टर्न होती है और उस रिश्तेदार के मंसूबे के बारे में उसे पता चलता है कि वह असल में एक नौकरानी की तलाश में उसे शहर लाया था। जिससे बाद वह भटकते हुए एक भिखारी बच्चे से घुल मिल जाती है और वह बच्चा आनंदी देवी को अपने जीर्ण-शीर्ण घर में ले जाता है। आनंदी नेकदिल और देखभाल करने वाली होने के कारण वह धीरे-धीरे श्याम (विनोद खन्ना) और छेनू (शत्रुघ्न सिन्हा) के बीच युवाओं के समूहों के बीच ‘नानी मां’ नाम से ख्याति अर्जित करती है।

गुलजार के ऐसे हाथ लगी फिल्म, फिर से लिखी पटकथा
तपन सिन्हा द्वारा निर्देशित बंगाली फिल्म अपंजन के व्यावसायिक और आलोचनात्मक दोनों तरह से सफल होने के बाद पटकथा लेखक गुलजार को हिंदी रीमेक के लिए स्क्रिप्ट का अनुवाद करने के लिए कोलकाता बुलाया गया था। हालांकि बाद में सिन्हा मूल फिल्म की स्टार कास्ट का इस्तेमाल पर अड़ गए। जिसकी वजह से उन्हें फिल्म से बाहर कर दिया गया। इसके बाद गुलजार जो उस समय तक बिमल रॉय और हृषिकेश मुखर्जी के साथ बतौर असिस्टेंट काम कर रहे थे उन्हें अपनी पहली फिल्म डायरेक्ट करने का मौका मिल गया। इससे पहले गुलजार खामोशी (1969) और आनंद (1971) की पटकथा लिख चुके थे। इसके बाद गुलजार ने कहानी के राइट्स खरीद लिए और पटकथा को फिर से लिखा और उन हिस्सों को हटा दिया जो उन्हें लगा कि वे बहुत औपचारिक और व्यावसायिक थे।