BolBolBollywood.com स्पेशल स्टोरी, मुंबई। क्लासिक सिनेमा में अहम मुकाम रखने वाली ओम पुरी अभिनीत फिल्म अर्ध सत्य (Ardh Satya) 18 नवंबर को 1984 में रिलीज की गई थी। यह फिल्म भारतीय पुलिस सिस्टम के सामाजिक और राजनैतिक मूल्यों की व्याख्या है। अर्ध सत्य का मुख्य किरदार अनंत वेलणकर (ओम पुरी) एक भारतीय पुलिस कर्मचारी के संघर्षों, उसकी अच्छाइयों, उसकी कमियों पर एक दुर्लभ व्याख्या है। इस फिल्म से ही ओमपुरी को बॉलीवुड सिनेमा में पहचान मिली थी।

फिल्म की कहानी
फिल्म (Ardh Satya), अनंत वेलणकर (ओम पुरी), मुंबई पुलिस के एक सब-इंस्पेक्टर की कहानी है जो लिटरेचर पढ़ना चाहता था और प्रोफेसर बनना चाहता था पर अपने कठोर स्वाभाव के पिता (अमरीश पुरी) के दबाव में वह पुलिस मशीनरी ज्वाइन करता है. अनंत एक आदर्शवादी या ‘नेक और कडक’ अधिकारी (जैसे कि रामा शेट्टी (सदाशिव अम्रापुरकर) कहता है) की तरह पुलिस ज्वाइन करता है पर जल्द ही सिस्टम का भ्रष्टाचार, राजनैतिक हस्तक्षेप और उसके अपनी मर्दानगी/ पौरुष को लेकर संघर्ष, उसके आदर्शवाद को चोट पहुंचाते है. अंतत: वह अपनी कस्टडी में एक व्यक्ति की हत्या कर देता है और दूसरा माइक लोबो बन जाता है।
माइक लोबो (नसीररूद्दीन शाह) एक जमाने में एक ईमानदार अफसर हुआ करते थे पर सिस्टम के दबाव के चलते वे सड़क पर भीख मांगने पर मजबूर हो जाते है। माइक सिस्टम को अंदर से सुधारने के प्रयास का अकेलापन दिखाने वाला किरदार है। चुपचाप अपनी नौकरी करो अन्यथा तुम भी लोबो की तरह अकेले हो जाओगे, अनंत को उसके साथी बार-बार यह आगाह करते है।

यह थी स्टार कास्ट
फिल्म (Ardh Satya) जाने-माने डायरेक्टर गोविन्द निहलानी द्वारा निर्देशित है और विजय तेंदुलकर द्वारा इसका स्क्रीन प्ले लिखा गया है। ओम पुरी, स्मिता पाटिल, नसीरुद्दीन शाह, सदाशिव अम्रापुकार, इला अरुण, अमरीश पुरी ने फिल्म में अभिनय किया है।

बेस्ट अभिनेता का नेशनल अवॉर्ड
अभिनेता ओमपुरी ने मराठी फिल्म ‘घासीराम कोतवाल’ से अपने फिल्मी करियर की शुरूआत की थी। लेकिन उन्हें पॉपुलैरिटी साल 1983 में रिलीज हुई फिल्म ‘अर्ध सत्य’ से मिली। इस फिल्म के लिए ओम पुरी को बेस्ट अभिनेता के नेशनल अवॉर्ड से सम्मानित किया गया था। वहीं, कारलोवी वैरी इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में ओम पुरी को बेस्ट एक्टर का अवॉर्ड दिया गया था।
ओमपुरी का जीवन बेहद गरीबी में बिता था। वह महज छह साल की उम्र में टी स्टॉल पर चाय के बर्तन साफ किया करते थे। लेकिन एक्टिंग के कारण वह नेशनल स्कूल आॅफ ड्रामा में गए। जिसके बाद साल 1988 में उन्होंने दूरदर्शन की मशहूर टीवी सीरीज ‘भारत एक खोज’ में कई रोल किए और आॅडियंस ने उन्हें काफी पसंद भी किया।